गांधी परिवार के ‘दो राजकुमार’ खड़ी करेंगे भाजपा के लिए परेशानी

आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए देश के सबसे प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार अर्थात गांधी परिवार के दो राजकुमार भाजपा के लिए चुनौती पेश कर सकते हैं।
इनमें प्रमुख नाम कांग्रेस के पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी का है, वहीं दूसरा नाम भाजपा के ही फायरब्रांड नेताओं में शुमार और पीलीभीत से सांसद वरूण गांधी का है।
विपक्षी दलों के खिलाफ रणनीति बनाने में जुटी भाजपा के लिए पार्टी के अन्दर से उठ रही विरोध की आवाजें मुश्किल का सबब बन रही हैं। तीनों कृषि कानूनों की वापसी के पीछे आंदोलित किसानों, विपक्षी हमलों के साथ पार्टी के अंदर से उठ रही विरोधी आवाजें भी मानी जा रही हैं। यदि समय रहते भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने समस्या का हल नहीं तलाशा तो आगामी चुनावों में पार्टी को दो मोर्चों पर गांधी परिवार के राजकुमारों के हमलों का सामना करना पड़ेगा।
हाल ही में उत्तर प्रदेश में टीईटी परीक्षा में पेपर लीक मामले में विपक्षी दलों के निशाने पर योगी आदित्यनाथ सरकार पर वरूण गांधी के ट्वीट ने दबाव बनाने का काम किया है। वहीं विपक्ष को अधिक हमलावर होने का मौका दे दिया है। ट्वीट में वरूण गांधी ने लिखा है कि पहले तो सरकारी नौकरी ही नहीं हैं, कुछ मौके आए तो पेपर लीक, परीक्षा दे भी दी तो सालों साल रिजल्ट नहीं, रेलवे ग्रुप डी के सवा करोड नौजवान 2 साल से परिणामों के इंतजार में है। सेना में भर्ती का भी यही हाल है। आखिर कब तक सब्र करे भारत का नौजवान। अपने ट्वीट में वरूण गांधी ने योगीआदित्यनाथ के रोजगार उपलब्ध कराने के दावों को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है।
वरूण गांधी ने कई मामलों में अपनी ही सरकार के फैसलों पर सवालिया निशान लगाते हुए पार्टी एवं सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। वरूण गांधी विशेष तौर पर किसान आंदोलन के दौरान सरकार के खिलाफ कई बार मुखर अंदाज में आंदोलनकारी किसानों के पक्ष में खड़े नजर आए। लखीमपुर खीरी मामले में विपक्ष के लगातार हमले झेल रही भारतीय जनता पार्टी को वरूण गांधी के बयानों ने और असहज किया। वहीं, तीन कृषि कानूनों के विरोध में मुजफफरनगर में हुई किसान महापंचायत के पक्ष में भी वरूण गांधी खड़े दिखाई दिए।
वरूण के बयानों से विरोधियों को मिल रहा बल
योगीआदित्यनाथ सरकार ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों की मांग पर गन्ने की फसल में मूल्य वृद्धि करते हुए 350 रूपये प्रति क्वंटल करने की घोषणा की थी, लेकिन वरूण गांधी ने इस मूल्य वृद्धि को नाकाफी बताते हुए गन्ने की फसल की कीमत को 400 रूपये प्रति क्वंटल करने की मांग की थी। वहीं 12 सितम्बर को वरूण गांधी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर किसानों के पक्ष में 7 मांगे उठाई थी। वरूण गांधी की पार्टी विरोधी बयानबाजी के बाद से एनसीपी, कांग्रेस, सपा, राजद और तृणमूल कांग्रेस नई धार से भाजपा पर हमले कर रही है।
विरोधी तलाश रहे संभावनाएं
वरूण गांधी के पार्टी विरोधी रूख के बाद विपक्षी दल वरूण गांधी को लेकर नई संभावनाएं तलाश रही है। चर्चा है कि कुछ राजनीतिक पार्टियां वरूण गांधी के सम्पर्क में हैं। ये पार्टियां वरूण गांधी को अपने पाले में खीचने की कोशिशें कर रही है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार पश्चिमी बंगाल से अपनी पार्टी के विस्तार में जुटी तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी वरूण गांधी से संपर्क में हैं। कांग्रेसी नेता प्रियंका गांधी से भी वरूण गांधी की मुलाकात की बातें राजनीतिक गलियारे में चल रही हैं।
भाजपा भी वरूण गांधी के रूख पर नजर रख रही है
ऐसा नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी वरूण गांधी के पार्टी के प्रति आए इस बदलाव से अंजान है। पार्टी को इस बात का आभाष है कि महत्वपूर्ण समय पर वरूण कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। ऐसे में पार्टी का शीर्ष नेतृत्व लगातार नजर रख रहा है।
परिणामस्वरूप भारतीय जनता पार्टी ने पिछले दिनों घाोषित 80 सदस्यीय नई कार्यकारणी में वरूण गांधी एवं उनकी मां मेनका गांधी का नाम शामिल नहीं किया है। जानकारों का यह भी कहना है कि पार्टी में लगातार अपनी एवं अपनी मां की लगातार हो रही अनदेखी के चलते वरूण गांधी पार्टी विरोधी बयानबाजी कर रहे थे। वह पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का ध्यान अपनी ओर खीचना चाहते हैं।