अविस्मरणीय दिवस-26 फरवरी बहरामपुर में 1857 क्रांति की पहली चिंगारी

प्रस्तुति – नवीन चन्द्र पोखरियाल रामनगर, जिला नैनीताल उत्तराखंड
1857 में आज ही के दिन बंगाल की सेना ने ब्रिटिश सरकार में इस्तेमाल हो रहे गाय की चर्बी वाले कारतूसों को इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया था।
व्यापार के नाम पर भारत आए अंग्रेजों ने धीरे-धीरे जिस बर्बर और घृणित तरीके से अपनी साम्राज्यवादी चालों को आकार देना शुरू किया, उसका समाज के प्रत्येक वर्ग ने अपने-अपने तरीके से विरोध किया था। अंतत: यह असंतोष 1857 के जन विद्रोह के रूप में सामने आया, जिसने अंग्रेजी शासन की जड़ों पर प्रहार किया।
कहते हैं आजादी के लिए कसमसाते देश में उठी विद्रोह की यह पहली चिंगारी बंगाल से भड़की थी, इस लिहाज से आज की तारीख महत्वपूर्ण है।
दरअसल, ब्रिटिश सरकार ने दिसंबर, 1856 में पुरानी बंदूकों के स्थान पर नई राइफल का प्रयोग शुरू किया, जिसके कारतूस पर लगे कागज को मुंह से काटना पड़ता था बंगाल की सेना को पता चला कि इस कारतूस में गाय की मिली हुई है।
चर्बी वाले कारतूसों के प्रयोग के खिलाफ सर्वप्रथम बहरामपुर के सैनिकों ने 26 फरवरी, 1857 को विद्रोह कर दिया और विद्रोह की यह आंच देखते-देखते एक जन विद्रोह में बदल गई। इसे देश में अंग्रेजों के खिलाफ पहली जनक्रांति कहा जाता है।