विरसा संभाल मुहिम ने मनाया श्री गुरु तेगबहादुर जी का बलिदान दिवस,हिंदू हिंदू ही रहे:रामगोपाल

चंडीगढ़, मोगा , 27 नवंबर(सचित गौतम, विवेक गौतम)
स्थानीय कैंब्रिज इंटरनेशनल स्कूल में श्री गुरु तेगबहादुर जी का बलिदान दिवस विरसा संभाल मुहिम की स्थानीय इकाई द्वारा मनाया गया । इस कार्यक्रम में अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन सरदार इकबाल सिंह लालपुरा, सरदार कुलवंत सिंह डिप्टी कमिश्नर मोगा तथा नगर निगम के मेयर नितिका भल्ला जी उपस्थित रहे। शहर की सभी सामाजिक तथा धार्मिक संस्थाओं के गणमान्य व्यक्तियों ने भी इस कार्यक्रम में पहुंचकर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री रामगोपाल जी ने गुरु जी को याद करते हुए कहा कि उन्हें सदियों तक भारत याद करता रहेगा। देश और धर्म के लिए पूरे परिवार का बलिदान देने का यह उदाहरण सदा सदा के लिए सबको प्रेरणा देता रहेगा। हिंदू धर्म की रक्षा के लिए दिया गया उनका बलिदान उस समय के शासक के स्वभाव तथा समाज के स्वभाव को प्रकट करता है, जब एक गुरु पूरे देश का नेतृत्व करते हुए अपने आप को उस अत्याचारी शासक के सामने प्रस्तुत करते हैं और कहते हैं कि तुम मुझे इस्लाम स्वीकार करा लो तो सारा देश इस्लाम स्वीकार कर लेगा, जहां एक और भारत के लाखों वर्षो की सनातन परंपरा की प्रतिष्ठा का विषय था वहीं दूसरी ओर एक आक्रमणकारी और क्रूर सत्ता द्वारा इस्लामी आतंकवाद का रूप भी दिख रहा था। इस संघर्ष में श्री गुरु जी के महान त्याग ने सारे देश को बचा गया। हिंदू हिंदू ही रहे यही उनके बलिदान का परिणाम रहा। सनातन धर्म की प्रतिष्ठा कायम रही।
विरसा संभाल मुहिम के प्रमुख रामगोपाल ने कहा की वर्तमान परिस्थिति में भी अपने परिवार को देश धर्म संस्कृति यानी कि अपनी प्राचीन विरासत के साथ जोड़ने की अत्यंत आवश्यकता है। चाहे वह नशे की समस्या हो, तलाक की समस्या हो या अपराध की समस्या हो इन सब में नुकसान तो परिवार का ही हो रहा है। परिवार बिखर रहा है इस बिखराव को रोकने की जिम्मेवारी हमारी ही है। एक सर्वे के मुताबिक भारत के महानगरों में 7 करोड़ से अधिक स्त्री पुरुष अकेले रह रहे हैं उनके बच्चे या तो विदेश में हैं या नौकरी करने उनसे दूर चले गए हैं । ऐसे स्त्री पुरुषों का अकेलेपन का दुख हम सब अनुभव कर सकते हैं ।
उन्होंने कहा कि हम अपने परिवार को संस्कारित करने के लिए बचपन से ही अपने मोहल्ले के धार्मिक स्थानों पर ले जाने का प्रयास शुरू करें । सप्ताह में एक दिन इन स्थानों पर जाकर एक घंटा बच्चों के साथ बैठे उन्हें अपने धार्मिक ग्रंथों को अध्ययन करने को कहें और भजन कीर्तन करें, उनके द्वारा ही त्योहारों को बनाना शुरू करें । 24 दिसंबर से 31 दिसंबर तक धर्म की रक्षा के लिए बलिदान हुए महापुरुषों को याद करें। 19 से 26 जनवरी तक देश के लिए बलिदान होने वाले क्रांतिकारियों को याद करें। परिवार का जन्मदिन भी मुहल्ले के साथ मनाए। इस छोटे से प्रयास से बच्चे अपने प्राचीन विरसे से जुड़े रहेंगे।
मात्र कैरियर की चिंता करते रहने के कारण उनके करैक्टर की तरफ हमने ध्यान नहीं दिया उसी का परिणाम यह है कि आजकल के बच्चे समूह में रहने की बजाय अकेले रहना पसंद करते हैं। इस अकेलेपन के कारण ही उनके जीवन में निराशा नशा आदि जैसी कुरीतियां उत्पन्न हो रही हैं, जन्म देने वाले माता-पिता, पालन पोषण करने वाला परिवार, दुख सुख का साथी अपना गली मोहल्ला ही उन्हें पसंद नहीं आता, इसमें वो रहना नहीं चाहते और इसे छोड़कर ऐसी जगह जाना चाहते हैं जहां उन्हें कोई जानता है ना पहचानता है एक प्रकार से अंधेरी गली में जाना उनकी नियत बन जाता है और हम समझ सकते हैं कि इस प्रकार करने से उनका जीवन कितना दुखद होगा जिसकी हम कल्पना ही कर सकते हैं। उन्होंने सभी परिवारों से अपील की कि हम अपने परिवार को अपने प्राचीन विरसे से जोड़कर उसे देश ,समाज और धर्म की सेवा में समर्पित कर अपने गृहस्थ धर्म का पालन करें।

कार्यक्रम के विशेष अतिथि अल्पसंख्यक आयोग, भारत सरकार के चेयरमैन स.इकबाल सिंह लालपुरा ने चंगाई सभाओं में चमत्कारिक ढंग से बीमारियों को खत्म करने के दावे को सिरे से खारिज करते हुए उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि चंगाई सभा उनकी बीमारी को खत्म कर दे तो वे आज भी ईसाई धर्म को अपनाने के लिए तैयार है।आईपीएस अधिकरी के रूप में पंजाब में सेवाएं देने वाले अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन स.इकबाल ने स्पष्ट रूप से कहा कि चंगाई सभाओं के माध्यम से बीमारियां दूर करने की बात सिर्फ भ्रमित करने वाली बातें है, इससे ज्यादा कुछ नहीं। उन्होंने बताया कि दिल्ली में जब उन्हें अल्पसंख्यक समुदाय में आने वाले सातों धर्म के लोगों की बैठक बुलाई थी, उस बैठक में उन्होंने इस पर सवाल खड़ा किया था,लेकिन उन्हें संतोषजनक उत्तर नहीं मिला।
स.इकबाल सिंह ने हैरानी जताई कि दो करोड़ 77 लाख की आबादी वाले पंजाब में 57.7 फ़ीसदी सिख हैं जो अल्पसंख्यक समुदाय में आते हैं, लेकिन आज तक कोई सिक्ख उनके पास इस काम के लिए नहीं पहुंचा कि आयोग उनके बच्चों की बेहतरी के लिए क्या कर सकता है, वे अपने स्तर पर ही योजनाएं तैयार कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर भी हैरानी जताई कि हम अपने ही धर्म की बातों को भूलते जा रहे हैं, विरासत के नाम पर नई पीढ़ी को देने के लिए हमारे पास कुछ है ही नहीं, यही वजह है कि समाज में समस्याएं पैदा होती जा रही हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता डिप्टी कमिश्नर सरदार कुलवंत सिंह ने की उन्होंने कहा कि श्री गुरुनानक जी के जीवन सिद्धांत ” कीरत करो, नाम जपो और वंड छको ” को अपने जीवन में अपना कर अपने आसपास के समाज के जीवन स्तर को ऊपर उठाना ही सच्ची सेवा है । इस मौके पर विशेष अतिथि के रूप में निगम की मेयर नीतिका भल्ला मौजूद थीं। मंच संचालन कैम्ब्रिज स्कूल के चेयरमैन व कार्यक्रम के संयोजक दविंदर पाल सिंह रिंपी ने किया। कार्यक्रम में जिले भर से बड़ी संख्या में समाज के प्रबुद्ध लोग मौजूद थे।