पंजाब विधानसभा चुनाव 2022: क्या हो गई विधानसभा चुनाव में बड़े उलटफेर की तैयारी? पढ़ें हरियाणा के सीएम से अमरिंदर सिंह की मुलाकात के मायने

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) ने हाल ही में अपने नए राजनीतिक दल के नाम की घोषणा की थी. सिंह की पार्टी का नाम है- पंजाब लोक कांग्रेस (Punjab Lok Congress) है.
वहीं अब अमरिंदर सिंह से बीजेपी (BJP) के नेताओं से नजदीकियां इस तरफ संकेत दे रहे हैं कि पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Election) में वो कुछ बड़ा उलटफेर हो सकता है.
आज पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्रीअमरिंदर सिंह हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के चंडीगढ़ स्थित आवास पर पहुंचे. पूर्व सीएम के खट्टर के आवास पर पहुंचने से सियासी गलियारों में एक बार फिर से उनके BJP से नजदीकियों के कयास लगाए जा रहे हैं. अपनी नई पार्टी के ऐलान से पहले और पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद वो गृहमंत्री अमित शाह से भी मिले थे.
Chandigarh | Former Punjab CM Captain Amarinder Singh arrives at the residence of Haryana CM ML Khattar pic.twitter.com/KANAReYEyj
– ANI (@ANI) November 29, 2021
क्यों हो रही संभावित गठजोड़ की बात
गठजोड़ की बात इसलिए और कही जा रही है क्योंकि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कृषि कानूनों को हल निकालने पर जोर दिया था. उन्होंने कहा था कि पंजाब में चीजों को वापस सामान्य करने के लिए हल किया जाना चाहिए. अमरिंदर सिंह ने कहा था कि अगर इन कानूनों को निरस्त नहीं किया गया तो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए ग्रामीण, चुनाव प्रचार की अनुमति नहीं देंगे. अमरिंदर ने ये भी कहा था कि अगर आपके पास खेत के मुद्दों और तीन कानूनों का समाधान नहीं हो सकता है, तो हम में से कोई भी अभियान के लिए नहीं जा पाएगा, क्योंकि किसान आपको गांवों में प्रवेश नहीं करने देंगे.
क्या बीजेपी ने खेला था बड़ा दांव
आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कृषि कानूनों की वापसी को बीजेपी के मास्ट कर स्ट्रॉक के तौर पर देखा जा रहा था. हालांकि पंजाब में बीजेपी की डगर आसान नहीं है. 117 सीटों पर होने वाले विधानसभा चुनावों में फिलहाल बीजेपी के खाते में सिर्फ 3 विधानसभा सीटें हैं. इस बार पंजाब विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस, अकाली दल, बहुजन समाज पार्टी गठजोड़, आम आदमी पार्टी और BJP के बीच बहुकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद है. ऐसे में पंजाब में मजबूत दिख रही कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को चित करने के लिए उसे एक और बड़ा दांव खेलना होगा.
अमरिंदर की भूमिका अहम
कृषि कानूनों की वापसी के फैसले के साथ ही सूबे के पूर्व मुखिया अमरिंदर सिंह भी जनता में बीजेपी के साथ जाने के अपने रास्तों को खुला हुआ दिखाने में लगे रहे हैं. वो ये जाहिर करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं कि मोदी सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर पंजाब के किसानों की भलाई के लिए बड़ा कदम उठाया है. यानी अब अगर वो बीजेपी के साथ चले भी जाएं तो वही समर्थन हासिल कर पाएंगे जो कांग्रेस में रहते हुए साल 2017 के विधानसभा चुनावों में उन्हें मिला था. प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद सिंह ने संकेत दिया था कि वह किसानों के मुद्दे पर BJP के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के साथ काम करने को तैयार हैं. सिंह ने हाल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी.
तो क्या जमीनी नेता का मिलेगा साथ
उन्होंने कहा था कि मैं इस विषय को केंद्र के समक्ष एक साल से अधिक समय से उठा रहा था और नरेंद्र मोदी जी तथा अमित शाह जी से मुलाकात कर उनसे हमारे अन्नदाता की आवाज सुनने का अनुरोध किया था. सचमुच में खुश हूं कि उन्होंने किसानों की सुनी और हमारी चिंताओं को समझा. मैं किसानों के विकास के लिए भाजपा नीत केंद्र (सरकार) के साथ करीबी तौर पर काम करने के लिए उत्सुक हूं. मैं पंजाब के लोगों से वादा करता हूं कि मैं चैन से तब तक नहीं बैठूंगा जब तक कि मैं हर आंख से आंसू नहीं पोंछ देता.’ ऐसे में अगर अमरिंदर सिंह अगर बीजेपी से हाथ मिलाते हैं तो इससे पार्टी को एक और जमीनी नेता का साथ मिल जाएगा.