दारा शिकोह का हिन्दू धर्म से क्या कनेक्शन था, जिसे RSS ने ‘सच्चा मुसलमान’ बताया

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देश में मुगल बादशाह शाहजहां के बड़े बेटे दारा शिकोह की चर्चा है. चर्चा की वजह है राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी RSS सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल (Krishna Gopal) का बयान और एक रिसर्च प्रोजेक्ट.

उन्होंने तीन साल पहले दिए अपने एक बयान में दारा शिकोह (Dara Shikoh) को सच्चा मुसलमान बताया था. मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हाल में संघ ने एक रिसर्च प्रोजेक्ट शुरू किया है जो सीधेतौर पर दारा शिकोह (Dara Shikoh Project) से जुड़ा हुआ है. इस प्रोजेक्ट के जरिए दारा शिकोह से जुड़ी कई बातें सामने लाई जाएंगीं. अब दारा शिकोह के जीवन और शिक्षाओं के प्रचार के लिए संघ इस प्रोजेक्ट के तहत दारा उनके कामों पर रिसर्च करेगा. इसके अलावा शिकोह से जुड़ी किताबों को अलग-अलग भाषाओं में ट्रांसलेट किया जाएगा.

कौन थे दारा शिकोह, कब और कैसे इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई और इस प्रोजेक्ट का मकसद क्या है? जानिए इन सवालों के जवाब
कौन थे दारा शिकोह और हिन्दू धर्म से क्या है इनका कनेक्शन?

20 मार्च 1615 को राजस्थान के अजमेर में जन्मे दारा शिकोह शाहजहां और दूसरी मुमताज महल के बेटे थे. दारा सौतेले और सगे मिलाकर कुल 13 भाई-बहन थे, लेकिन 6 ही जीवित रहे. 1633 में इनकी शादी नादिरा बानो से हुई थी.

इतिहासकारों का कहना है दारा शिकोह अपने भाई औरंगजेब से विपरीत थे. दारा बेहद उदार और धर्मों में फर्क न करने वाले थे. इन्हें गैर-रूढ़िवादी मुसलमान माना जाता है.हिन्दू धर्म में इनकी खास रुचि थी. उन्होंने अपने अध्ययन के जरिए हिन्दू और इस्लाम धर्म में समानताएं खोजने की कोशिश की.

यह भी कहा जाता है कि हिन्दू धर्म को लेकर अधिक जानकारी हासिल करने के लिए उन्होंने 52 उपनिषदों और महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक किताबों का संस्कृत से फारसी में अनुवाद कराया था. वह चाहते थे कि हिंदुओं के उपनिषदों को मुस्लिम विद्वान भी पढ़े. शिकोह ने उपनिषदों और किताबों का जो अनुवाद कराया उसका एक फायदा हुआ इसकी पहुंच यूरोप तक हुई. बाद में इसे लैटिन भाषा में भी इसका अनुवाद किया गया.

दारा शिकोह की सबसे प्रसिद्ध किताब , मजमा-उल-बहरीन (‘द कॉन्फ्लुएंस ऑफ द टू सीज’) वेदांत और सूफीवाद का तुलनात्मक अध्ययन किया गया है.
शिकोह पर संघ के प्रोजेक्ट की शुरुआत कब और कैसे हुई थी?

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शिकोह पर संघ के प्रोजेक्ट की नींव 2017 में पड़ी. इस साल संघ प्रचारक चमन लाल के स्मृति प्रोग्राम में दारा शिकोह पर चर्चा हुई थी. इस चर्चा के बाद 2019 में इस पर प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए बात बनी. इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी संघ के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल को दी गई. उन्होंने इसके लिए कई वर्कशॉप आयोजित कीं.

इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट के तहत दारा शिकोह से जुड़ीं अलग-अलग किताबों को ट्रांसलेट किया जाएगा. इतना ही नहीं, इस प्रोजेक्ट के लिए जानकारी जुटाने के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने अपने दारा शिकोह सेंटर के तहत आपसी संवाद के लिए पैनल बनाने की घोषणा की है. चर्चा है कि जल्द ही जामिया मिलिया इस्लामिया, मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी, दिल्ली यूनिवर्सिटी, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी ऐसा ही पैनल तैयार करेगा.

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