कब है मार्गशीर्ष पूर्णिमा? जानिए इसका शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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शास्त्रों में वैसे तो प्रत्येक पूर्णिमा एवं अमावस्या की अपनी अहमियत है, किन्तु मार्गशीर्ष पूर्णिमा को और भी खास माना जाता है।

परम्परा है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा मनुष्य को मुक्ति दिला सकती है। इसलिए इस पूर्णिमा को शास्त्रों में मोक्षदायिनी बोला गया है। इस दिन दान, ध्यान और स्नान की खास अहमियत होती है तथा इसका 32 गुना फल मनुष्य को मिलता है। कहा जाता है कि इस दिन प्रभु श्री विष्णु तथा माता लक्ष्मी की सच्चे दिल से पूजा करने मात्र से ही मोक्ष के लिए मार्ग खुल जाता है। पूर्णिमा की रात चंद्रमा भी अपने 16 कलाओं से पूर्ण होता है। इस दिन उपवास रखने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति में सुधार होता है तथा मानसिक तनाव एवं उथल पुथल की स्थिति से छुटकारा प्राप्त होता है। इस बार मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि 18 दिसंबर दिन शनिवार को पड़ रही है। यहां जानिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि।।।

ये है शुभ मुहूर्त:-
हिंदू पंचाग के मुताबिक, मार्गशीर्ष पूर्णिमा 18 दिसंबर, शनिवार को प्रातः 07 बजकर 24 मिनट से आरम्भ होगी तथा अगले दिन 19 दिसंबर दिन रविवार को प्रातः 10 बजकर 05 मिनट तक रहेगी। 18 दिसंबर को साध्य योग प्रातः 09 बजकर 13 मिनट तक है, तत्पश्चात, शुभ योग प्रारंभ हो जाएगा। शुभ योग पूर्णिमा के अंत तक रहेगा।

पूजा विधि:-
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन प्रातः उठकर प्रभु श्री विष्णु का म​न ही मन में ध्यान करें तथा व्रत का संकल्प लें। नहाते वक़्त जल में थोड़ा गंगाजल तथा तुलसी के पत्ते डालें फिर जल को मस्तक पर लगाकर ईश्वर को याद कर प्रणाम करें। तत्पश्चात, स्नान करें। पूजा स्थान पर चौक वगैरह बनाकर श्रीहरि की माता लक्ष्मी के साथ वाली फोटो स्थापित करें। उन्हें याद करें फिर रोली, चंदन, फूल, फल, प्रसाद, अक्षत, धूप, दीप आदि चढ़ाएं। तत्पश्चात, पूजा स्थान पर वेदी बनाएं एवं हवन के लिए अग्नि प्रज्जवलित करें। इसके पश्चात् ‘ॐ नमो भगवते वासु देवाय नम: स्वाहा इदं वासु देवाय इदं नमम’ बोलकर हवन सामग्री से 11, 21, 51, या 108 आहुति दें। हवन समपन्न होने के पश्चात् ईश्वर का ध्यान करें। उनसे अपनी त्रुटि की क्षमायाचना करें।

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