आदि गुरु शंकराचार्य कौन थे, कैसे हुई मृत्यु, कौन से हैं 4 मठ, जिनकी प्रतिमा PM ने की स्थापित

चंडीगढ़ (आज़ाद वार्ता)
आदि शंकर (संस्कृत: आदिशङ्कराचार्यः)(Adi guru shankaracharya) ये भारत के एक महान दार्शनिक और धर्मप्रवर्तक थे. आदि गुरु शंकराचार्य अद्वैत वेदान्त को ठोस आधार प्रदान किया.
भगवद्गीता, उपनिषदों और वेदांतसूत्रों पर लिखी हुई इनकी टीकाएं बहुत प्रसिद्ध हैं. पहले ये कुछ दिनों तक काशी में रहे, और तब इन्होंने विजिलबिंदु के तालवन में मण्डन मिश्र को सपत्नीक शास्त्रार्थ में परास्त किया. इन्होंने समस्त भारतवर्ष में भ्रमण करके बौद्ध धर्म को मिथ्या प्रमाणित किया और वैदिक धर्म को पुनरुज्जीवित किया. कुछ बौद्ध इन्हें अपना शत्रु भी समझते हैं, क्योंकि इन्होंने बौद्धों को कई बार शास्त्रार्थ में पराजित करके वैदिक धर्म की पुन: स्थापना की. तो चलिए जान लेते हैं. आदि गुरु शंकराचार्य के पूरे जीवन बारे में, जो हर कोई जानना चाहता है.
खबर में खास बात
- आदि गुरु शंकराचार्य का जन्म कहां हुआ?
- शंकराचार्य के चार मठ कौन कौन से हैं?
- आदि गुरु शंकराचार्य की मृत्यु कैसे हुई?
- केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की मूर्ति का अनावरण
आदि गुरु शंकराचार्य का जन्म कहां हुआ?
शंकर आचार्य का जन्म 507-508 ई. पू. में केरल में कालपी अथवा ‘काषल’ नामक ग्राम में हुआ था. इनके पिता का नाम शिवगुरु भट्ट और माता का नाम सुभद्रा था. बहुत दिन तक सपत्नीक शिव को आराधना करने के अनंतर शिवगुरु ने पुत्र-रत्न पाया था, अत: उसका नाम शंकर रखा. जब ये तीन ही वर्ष के थे तब इनके पिता का देहांत हो गया. ये बड़े ही मेधावी और प्रतिभाशाली थे. छह वर्ष की अवस्था में ही ये प्रकांड पंडित हो गए थे और आठ वर्ष की अवस्था में इन्होंने संन्यास ग्रहण किया था.
शंकराचार्य के चार मठ कौन कौन से हैं?
उत्तराम्नाय मठ या उत्तर मठ, ज्योतिर्मठ जो कि जोशीमठ में स्थित है.
पूर्वाम्नाय मठ या पूर्वी मठ, गोवर्धन मठ जो कि पुरी में स्थित है.
दक्षिणाम्नाय मठ या दक्षिणी मठ, शृंगेरी शारदा पीठ जो कि शृंगेरी में स्थित है.
पश्चिमाम्नाय मठ या पश्चिमी मठ, द्वारिका पीठ जो कि द्वारिका में स्थित है.
आदि गुरु शंकराचार्य की मृत्यु कैसे हुई?
32 साल की अल्प आयु में सम्वत 820 ई. में केदारनाथ के समीप स्वर्गवासी हुए थे.
केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की मूर्ति का अनावरण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को भगवान शिव के धाम केदारनाथ में आदि गुरु शंकराचार्य की मूर्ति का अनावरण किया. एक ही शिला काटकर बनाई गई शंकराचार्य की बारह फुट लंबी प्रतिमा का अनावरण करने के बाद प्रधानमंत्री ने उसके समक्ष बैठकर उनकी आराधना की. इससे पहले, मोदी ने केदारनाथ मंदिर पहुंचकर भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की और उनका रूद्राभिषेक किया.