प्रेम में ये ऐसा दोगलापन आखिर क्यों?-आज हैदराबाद में नागराजू की हत्या, कभी गोविंदपुर में हरेंद्र की माँ का रेप, आम्बेडकर ने भी बताया था ‘मुस्लिम’ हो महिला तो नहीं होता ‘प्रेम’ कबूल

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नई दिल्ली 7 मई 2022 (नवीन चन्द्र पोखरियाल)

स्वतंत्रता के इतने वर्षों बाद भी मुस्लिम लड़कियों से प्रेम के बदले हिन्दू युवकों की हत्याओं, धर्म परिवर्तनों एवं उनके परिवार जनों पर अत्याचारों का सिलसिला लगातार जारी है। यहाँ पिक्चर बहुत साफ़ होते हुए भी ‘लव हेस नो रिलिजन’ जैसी कलात्मक सुर्खियाँ देने वालों की कमी नहीं है। आखिर प्रेम में ऐसा दोगलापन क्यों है?

अभी 3 रोज पहले ही (4 मई, 2022) हैदराबाद में एक मुस्लिम लड़की से शादी करने पर हिन्दू युवक की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। नागराजू और अशरीन सुल्ताना ने 3 महीने पहले मनमर्जी से शादी की थी। घटना की उस रात पति-पत्नी दोनों टू-व्हीलर से कहीं जा रहे थे तभी मोबिन और मसूद ने अपने साथियों के साथ सरेआम रॉड और चाकू मार-मार कर नागराजू की हत्या कर दी।

यदि लड़की हिन्दू हो तो मुसलमान ‘प्रेम के मसीहा’ बन जाते हैं, लेकिन लड़की यदि उनके कौम की निकले तो समूची मुस्लिम-आबादी उस हिन्दू लड़के को अपना दुश्मन मान लेती है और अपमान का बदला लेने के लिए जिहाद का रास्ता इख़्तियार कर लेती है। इस विषय में डॉ. बी.आर. आम्बेडकर द्वारा अपनी पुस्तक ‘Pakistan or Partition of India’ में उल्लेखित 27 जून, 1936 को बंगाल के गोविंदपुर गाँव में हुई एक घटना शिक्षाप्रद है।

डॉ. बी.आर. आम्बेडकर के इस दृष्टांत में गोविंदपुर में राधावल्लभ नामक हिंदू का हरेंद्र नाम का एक बेटा था। इसी गाँव में दूध बेचने वाली एक मुस्लिम महिला भी रहती थी। गाँव में स्थानीय मुसलमानों को हरेंद्र का दूध बेचने वाली मुस्लिम औरत से संबंध का शक था। उन्हें इस बात का गुस्सा था कि एक मुस्लिम महिला एक हिंदू की रखैल बनकर कैसे रह सकती है। इसलिए उन्होंने फैसला किया कि अपमान का बदला राधावल्लभ के परिवार से लिया जाएगा। गोविंदपुर के मुसलमानों ने एक बैठक में हरेंद्र को बुलाया और बुरी तरह से उसे मारा-पीटा। जिस मैदान में बैठक हुई थी बाद में हरेंद्र वहीं बेहोश पड़ा मिला।

इस हमले के बाद भी मुसलमान संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने राधावल्लभ से कहा कि जब तक उसका परिवार और बच्चे इस्लाम धर्म ग्रहण नहीं कर लेते तब तक वे उसके बेटे द्वारा किए गए गलत काम को माफ नहीं करेंगे। तब राधावल्लभ ने अपनी पत्नी और बच्चों को अन्यत्र भेजने की योजना बनाई। लेकिन मुसलमानों को इस योजना का पता चल गया। अगले दिन जब राधावल्लभ की पत्नी कुसुम अपना आँगन धो रही थी, तभी कुछ मुसलमान आए और उसे उठाकर ले गए। कुछ दूर ले जाने के बाद दो मुसलमानों ने उसके साथ बलात्कार किया और उसके जेवर उतार लिए। बाद में जब वह होश में आई तो जैसे-तैसे अपने घर पहुँची। घर पहुँच कर उसने अपने आप को एक कमरे में बंद कर लिया। लेकिन मुसलमानों ने फिर से उसका पीछा किया और उसके कमरे का दरवाजा तोड़कर उसे पकड़ लिया। हमलावर कुसुम को सड़क पर ले आए और उसे धमकी दी कि अब उसके साथ सड़क पर ही बलात्कार किया जाएगा।

इसी बीच गोविंदपुर के मुसलमानों ने कुसुम के पति राधावल्लभ को बहुत ही अपमानजनक स्थिति में (शायद नंगा कर के) गोविंदपुर की सड़कों पर घुमाया। अगले दिन मुसलमानों ने गोविंदपुर से पुलिस थाने जाने वाली सड़कों को ब्लॉक कर दिया ताकि राधावल्लभ और उसकी पत्नी में से कोई भी रिपोर्ट लिखवाने ना जा सके।

गोविंदपुर की घटना से लेकर आज हैदराबाद की घटना तक, प्रेम के संबंध में मुस्लिम-कौम की सोच में तनिक भी फर्क नहीं आया है। प्रेम के बदले में बिना किसी पश्चाताप, बिना किसी डर और बिना किसी शर्म के मुसलमान इस तरह के कृत्य करते रहते हैं। सबसे बड़ी बात, उनके भाई-बिरदारी वालों ने ना कल इसे बुरा कहा ना आज कह रहे हैं। इतने वर्षों से यही पैटर्न फॉलो होता आया है, फिर भी हिन्दू समाज इस जिहादी मानसिकता को समझने में असफल रहा है। हिन्दू समाज आज भी हिन्दू-मुस्लिम एकता और इस्लामी-भाईचारे के भ्रम में जी रहा है।

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