अमावस और स्थिर लग्न मे करें महालक्ष्मी का पूजन, बरसेगी कृपा
चंडीगढ़ (आज़ाद वार्ता)
अमावस और राहु का नक्षत्र स्वाति मे करे सिद्ध लक्ष्मी पूजन. इस बार दीपावली पर्व 4 नवंबर गुरुवार को मनाया जा रहा है, इस बार सौभाग्य वश आमावस् तिथि 4 नवंबर को सुबह 6 बजे से प्रारंभ होगी तथा 5 नवंबर को मध्य रात्रि 2.46 मिनिट मे खत्म होगी, यानी पूरे दिन आपको दोनों स्थिर लगन सिंह और वृषभ मे अमावस तिथि और स्वाति नछतर पूरी तरह से मिलेगा.
दीपावली पूजन का महत्व काली रात्रि और स्थिर लग्न में विशेष माना जाता है.
विशेष तौर पर कार्तिक अमावस्या को ही दीपावली पूजन का विधान है. वैसे भी महालक्ष्मी और अँधेरे का गहरा सम्बंध है. धन को छुपाकर ही रखा जाता है.
अधिकतर लोग स्थिर लग्न मे ही महालक्ष्मी का पूजन करते हैं. जो भी स्थिर लग्न अमावस्या को रात्रि मे आए उस लग्न मे महालक्ष्मी का पूजन करने से लक्ष्मी की स्थिरता आपके घर मे बनी रहती है. वैसे तो चार स्थिर लग्न है पहला वृषभ दूसरा सिंह तीसरा वृश्चिक चौथा कुम्भ.सामान्यतः दीपावली की रात्रि मे वृषभ लग्न मिल ही जाया करता है. जिसमे सभी लोग महालक्ष्मी का पूजन करते है. सिंह लग्न मध्य रात्रि 12 से 4 बजे के बीच आता है इस समय घनी रात्रि रहती है यदि इस समय अमावस भी हो तो क्या कहने सोने पर सुहागा होगा
सिंह लग्न और वृषभ लग्न का समय*
इस बार दीपावली गुरुवार को आ रही है जो अति शुभ है. अमावस्या तिथि गुरुवार 4 नवंबर को सुबह 6:00 से 5 नवंबर शुक्रवार को 02:46 रात्रि तक रहेगी इस अमावस मे ही महालक्ष्मी पूजन का विधान है. जो लोग सिंह लग्न मे पूजन करना चाहते है उन्हे इस बात का ध्यान रखना पड़ेगा की शुक्रवार को रात्रि 02:46 को अमावस समाप्त हो जायेगी,जो भी सिंह लग्न मे पूजन करना चाहते है उन्हे शुक्रवार को मध्यरात्रि 1.00 से 2.46 बजे सिंह लग्न आता है उस समय पूजन करें. जो लोग इस समय पूजन नही कर सकते वे गुरुवार की शाम को प्रदोष काल मे शाम 6.20से 8.25 के बीच मे वृषभ लग्न मे पूजन कर सकते हैं.
इन्दौर मे सिंह लग्न तथा वृषभ लग्न मे पूजा का समय इस प्रकार रहेगा*
इन्दौर-4 नवंबर अमावस तिथि
गुरुवार प्रदोष काल रात्रि 6:20 से 8:25 तक वृषभ लग्न.
5 नवंबर शुक्रवार अमावस तिथि
मध्यरात्रि 1.00 से 2.45 रात्रि सिंह लगन.
उपरोक्त समय महालक्ष्मी पूजन का शुध्द व सही मुहूर्त है इस समय किया गया पूजन आपको श्रेष्ठ फल देगा.
महालक्ष्मी के विषय मे सम्पूर्ण जानकारी
मां लक्ष्मी अपने भक्तों की धन से जुड़ी हर तरह की समस्याएं दूर करती हैं. इतना ही नहीं, देवी साधकों को यश और कीर्ति भी देती है.
मां लक्ष्मी की महिमा
धन और संपत्ति की देवी हैं मां लक्ष्मी, माना जाता है कि समुद्र से इनका जन्म हुआ और इन्होंने श्रीविष्णु से विवाह किया. इनकी पूजा से धन की प्राप्ति होती है, साथ ही वैभव भी मिलता है, अगर लक्ष्मी रुष्ट हो जाएं, तो घोरदरिद्रता का सामना करना पड़ता है, ज्योतिष में शुक्र ग्रह से इनका सम्बन्ध जोड़ा जाता है, इनकी पूजा से केवल धन ही नहीं, बल्कि नाम, यश भी मिलता है, इनकी उपासना से दाम्पत्य जीवन भी बेहतर होता है.
लक्ष्मी की पूजा के नियम
मां लक्ष्मी की पूजा सफेद या गुलाबी वस्त्र पहनकर करनी चाहिए.
मां लक्ष्मी के उस प्रतिकृति की पूजा करनी चाहिए, जिसमें वह गुलाबी कमल के पुष्प पर बैठी हों, साथ ही उनके हाथों से धन बरस रहा हो.
मां लक्ष्मी को कमल चढ़ाना सर्वोत्तम रहता है.
मां लक्ष्मी के मन्त्रों का जाप स्फटिक की माला से करने पर वह तुरंत प्रभावशाली होता है.
मां लक्ष्मी के विशेष स्वरूप हैं, जिनकी उपासना शुक्रवार के दिन करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है.
अलग-अलग समस्याओं के लिए महालक्ष्मी का पूजन*
नियमित धन प्राप्ति के लिए– धन लक्ष्मी की पूजा. मां लक्ष्मी के उस स्वरूप की स्थापना करें, जिसमें उनके हाथों से धन गिर रहा हो. चित्र के समक्ष घी का एक बड़ा सा दीपक जलाएं, इसके बाद उनको इत्र समर्पित करें,वही इत्र नियमित रूप से प्रयोग करें. विभिन्न राशियों के लिये लक्ष्मी पूजन मेष, सिंह और धनु
ये तीनो अग्नि तत्व प्रधान राशि है इन राशि वालों के लिए धन लक्ष्मी की पूजा विशेष लाभकारी होती है,मां लक्ष्मी के उस स्वरूप की स्थापना करें, जिसमें उनके पास अनाज की ढेरी हो.चावल की ढेरी पर लक्ष्मीजी का स्वरूप स्थापित करें उनके सामने घी का दीपक जलाएं, उनको चांदी का सिक्का अर्पित करें. पूजा के उपरान्त उसी चांदी के सिक्के को अपने धन स्थान पर रख दें.
मिथुन, तुला और कुम्भ राशि*
इन राशि वालों के लिए गजलक्ष्मी के स्वरूप की आराधना विशेष होती है,कारोबार में धन की प्राप्ति के लिए गज लक्ष्मी की पूजा,लक्ष्मीजी के उस स्वरूप की स्थापना करें, जिसमें दोनों तरफ उनके साथ हाथी हों.
लक्ष्मीजी के समक्ष घी के तीन दीपक जलाएं, मां लक्ष्मी को एक कमल या गुलाब का फूल अर्पित करें,पूजा के उपरान्त उसी फूल को अपनी तिजोरी मे रख दें.
वृष, कन्या,मकर*
इस राशि के लोगों के लिए ऐश्वर्य लक्ष्मी की पूजा विशेष होती है. नौकरी में धन की बढ़ोतरी के लिए: ऐश्वर्य लक्ष्मी की पूजा, गणेशजी के साथ लक्ष्मीजी की स्थापना करें, गणेश जी को पीले और लक्ष्मी जी को गुलाबी फूल चढ़ाएं, लक्ष्मीजी को अष्टगंध चरणों में अर्पित करें, नित्य प्रातः स्नान के बाद उसी अष्टगंध का तिलक लगाएं.
कर्क, वृश्चिक और मीन राशि*
इस राशि के लिए वरलक्ष्मी की पूजा विशेष होती है. धन के नुकसान से बचने के लिए: वर लक्ष्मी की पूजा मे लक्ष्मीजी के उस स्वरूप की स्थापना करें. जिसमें वह खड़ी हों और धन दे रही हों,उनके सामने सिक्के तथा नोट अर्पित करें,पूजन के बाद यही धनराशि अपनी तिजोरी मे रखें, इसे खर्च न करें. उपरोक्त विधि विधान से पूजन करने पर महालक्ष्मी आप पर प्रसन्न होगीं तथा घर मे समृद्धि व प्रसन्नता आयेगी.